भोपाल। ताउम्र ईमानदारी से नौकरी करते रहे। इलाके में बहादुर के उपनाम से पहचान रखते थे। चार महीने पहले हादसे में पैर टूट गया। फुर्ती पहले जैसी नहीं रही। फील्ड के बजाय आफिस में ड्यूटी का आग्रह किया तो अफसरों ने मेहरबानी दिखाकर फील्ड से हटा लिया। इस मेहरबानी के एवज में फर्जी बिल बनाने के लिए कहा गया तो इंकार कर दिया। इसके बाद अफसरों ने परेशान करना शुरू कर दिया। आफिस के साथ-साथ फील्ड में जाने का आदेश थमा दिया। साथ ही जांच में उलझाकर नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी मिलने लगी।
ऐसी स्थिति में बैरसिया के नाकेदार गोवर्धन सिंह सोलंकी ने जहर खाकर जिंदगी का अंत कर लिया। उन्होंने सुसाइड नोट में डिप्टी रेंजर एसपी सक्सेना, एसडीओ रवि खुड़े, रेंज अधिकारी सुनील पलटनवाले पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। गढ़ाकला निवासी गोवर्धन सिंह वन परिक्षेत्र बैरासिया के हरिपुर बीट के नाकेदार थे। अफसरों ने आरोपों को बेबुनियादी करार दिया है।
अंतिम चेतावनी बनी मौत की वजह
परिवार का यह भी कहना है कि गुरुवार को एसडीओ रवि खुड़े ने गोवर्धन को भोपाल स्थित अपने कार्यालय में बुलाया था। हाजिर नहीं होने पर रेंजर एवं डिप्टी रेंजर ने नाकेदार को हिदायत दी थी कि यदि वह एसडीओ कार्यालय नहीं पहुंचा तो उसकी नौकरी से निकाल दिया जाएगा। नाकेदार के परिवार में चार बेटियां, दो बेटे व पत्नी है।
इनका कहना है…
पापा एक माह से अधिकारियों द्वारा दी जा रही धमकियों से परेशान थे। गुरूवार को सुबह विभाग के कर्मचारी ने घर पहुंचकर उन्हें रेंजर से बात करने का बोला था। इसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है।
रामपाल सिंह सोलंकी, मृतक का पुत्र
नाकेदार के पैर खराब होने से पहले उसके द्वारा बनाए बिल वाउचर की समीक्षा एसडीओ के पास चल रही थी। आज उसे एसडीओ के सामने पेश होना था।
-सुनील पालटनवाले, प्रभारी रेंजर बैरसिया
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